बड़े से बड़ा नास्तिक हो जाए आस्तिक

बड़े से बड़ा नास्तिक हो जाए आस्तिक

बहुत से लोग नास्तिक होते हैं, लेकिन फिर उनके साथ ऐसा कुछ होता है कि वे भगवान में विश्वास करने लग जाते हैं। 

भोलानाथ बिहार के एक छोटा सा गांव चकिया में रहता था। वह मेडिकल दुकान चलाता था। सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी। पूरी दुकान खुद संभालता था, इसलिए कौन-सी दवा कहां रखी है, उसे अच्छी तरह पता था।

वो पूरी ईमानदारी से अपना काम करता था। ग्राहकों को सही दवा, सही दाम पर देता था। सबकुछ अच्छा होने के बाद भी भोलानाथ नास्तिक था। भगवान में उसका जरा भी विश्वास नहीं था।

वह पूरा दिन दुकान पर काम करता और शाम को परिवार तथा दोस्तों के साथ समय गुजारता था। उसे ताश खेलने का शौक था। जब भी टाइम मिलता, दोस्तों के साथ ताश खेलने बैठ जाता था।

एक दिन वह दुकान पर था, तभी कुछ दोस्त आए। तभी भारी बारिश भी शुरू हो गई। रात हो गई थी, लेकिन सभी बारिश थमने का इंतजार कर रहे थे। बिजली भी चली गई थी। बैठे-बैठे क्या करें, सोचा मोमबत्ती की रोशनी में ताश ही खेल लेते हैं। सारे दोस्त दुकान में ताश खेलने बैठ गए।

सभी ताश में मगने थे, तभी एक लड़का दौड़ा-दौड़ा आया। वह पूरी तरह भीग चुका था। उसने जेब से दवा की एक पर्ची निकाली और भोलानाथ से दवा मांगी। भोलानाथ खेल में मगन था। उसने पहली बार में तो ध्यान ही नहीं दिया।

तभी लड़ने को जोर से आवाज देते हुए कहा, मेरी मां बहुत बीमार है। सारी दवा दुकानें बंद हो गई हैं। एक आपकी दुकान ही खुली है। आप दवा देंगे तो मेरी मां ठीक हो जाएगी।

भोलानाथ आधे-अधूरे मन से उठा, पर्ची देखी और अंदाज से दवा की एक शीशी उठाकर उसे दे दी। पैसे काटकर लड़के को लौटा दिए। लड़का भागते हुए चला गया।

तभी बारिश थम गई। भोलानाथ के दोस्त चले गए और भोलानाथ भी दुकान बंद करने लगा, तभी उसे ध्यान आया कि रोशनी कम होने के कारण उसने गलती से लड़के को चूहे मारने वाली दवा की शीशी दे दी है। भोलानाथ के हाथ-पांव फूल गए। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी दस साल की नेकी पर मानो जैसे ग्रहण लग गया।

उस लड़के बारे में वह सोच कर वह तड़पने लगा। सोचा यदि यह दवाई उसने अपनी बीमार मां को देगा, तो वह अवश्य मर जाएगी। लड़का भी बहुत छोटा होने के कारण उस दवाई को तो पढ़ना भी नहीं जानता होगा।

एक पल वह अपनी इस भूल को कोसने लगा और ताश खेलने की अपनी आदत को छोड़ने का निश्चय कर लिया पर यह बात तो बाद के बाद देखी जाएगी। अब क्या किया जाए ?

उस लड़के का पता ठिकाना भी तो वह नहीं जानता। कैसे उस बीमार मां को बचाया जाए ? सच कितना विश्वास था उस लड़के की आंखों में। भोलानाथ को कुछ सूझ नहीं रहा था। घर जाने की उसकी इच्छा अब ठंडी पड़ गई। दुविधा और बेचैनी उसे घेरे हुए था।

घबराहट में वह इधर-उधर देखने लगा। पहली बार उसकी नजर दीवार के उस कोने में पड़ी, जहां उसके पिता ने जिद्द करके भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर दुकान के उद्घाटन के वक्त लगाई थी।

तब पिता ने कहा था, भगवान की भक्ति में बड़ी शक्ति होती है, वह हर जगह व्याप्त है और हमें सदैव अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देता है। भोलानाथ को यह सारी बात याद आने लगी। आज उसने इस अद्भुत शक्ति को आजमाना चाहा।

उसने कई बार अपने पिता को भगवान की तस्वीर के सामने कर जोड़कर, आंखें बंद करते हुए पूजते देखा था। उसने भी आज पहली बार कमरे के कोने में रखी उस धूल भरे कृष्ण की तस्वीर को देखा और आंखें बंद कर दोनों हाथों को जोड़कर वहीं खड़ा हो गया।

थोड़ी देर बाद वह छोटा लड़का फिर दुकान में आया। भोलानाथ के पसीने छूटने लगे। वह बहुत अधीर हो उठा।

पसीना पोंछते हुए उसने कहा- क्या बात है बेटा तुम्हें क्या चाहिए?

लड़के की आंखों से पानी छलकने लगा। उसने रुकते-रुकते कहा- बाबूजी.. बाबूजी मां को बचाने के लिए मैं दवाई की शीशी लिए भागे जा रहा था, घर के करीब पहुंच भी गया था। बारिश की वजह से आंगन में पानी भरा था और मैं फिसल गया। दवाई की शीशी गिर कर टूट गई। क्या आप मुझे वही दवाई की दूसरी शीशी दे सकते हैं बाबूजी? लड़के ने उदास होकर पूछा।

हां ! हां ! क्यों नहीं ? भोलानाथ ने राहत की सांस लेते हुए कहा। लो, यह दवाई!

पर उस लड़के ने दवाई की शीशी लेते हुए कहा, पर मेरे पास तो पैसे नहीं हैं, उस लड़के ने हिचकिचाते हुए से कहा।

भोलानाथ को उस पर दया आई। कोई बात नहीं – तुम यह दवाई ले जाओ और अपनी मां को बचाओ। जाओ जल्दी करो, और हां अब की बार जरा संभल के जाना। लड़का, अच्छा बाबूजी कहता हुआ खुशी से चल पड़ा।

अब भोलानाथ की जान में जान आई। भगवान को धन्यवाद देता हुआ अपने हाथों से उस धूल भरे तस्वीर को लेकर अपनी धोती से पोंछने लगा और अपने सीने से लगा लिया।

एक मिनट लगेगा, आपकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन न आ जाये तो कहना !

एक मिनट लगेगा, आपकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन न आ जाये तो कहना !

एक मिनट लगेगा, आपकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन न आ जाये तो कहना

एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा… और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यकर्म मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित किया जा रहा था.
वह अपनी सीट पर बैठा और जहाज़ उड़ गया… अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था कि… कैप्टन ने घोषणा की, तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज़ का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा… इसलिए हम पास के एयरपोर्ट पर उतरने के लिए विवस हैं.

जहाज़ उतरा,  वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि… उसका एक-एक मिनट क़ीमती है और होने वाले कार्यकर्म में उसका पहुँचना बहुत ज़रूरी है… पास खड़े दूसरे यात्री ने उसे पहचान लिया… और बोला डॉक्टर पटनायक आप जहां पहुंचना चाहते हैं… टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं… उसने धन्यवाद किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा…

लेकिन ये क्या आंधी, तूफान, बिजली, बारिश ने गाड़ी का चलना मुश्किल कर दिया, फिर भी ड्राइवर चलता रहा…
अचानक ड्राइवर को आभास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है…
ना उम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा… इस तूफान में वहीं ग़नीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया…
आवाज़ आई… जो कोई भी है अंदर आ जाए… दरवाज़ा खुला है…

अंदर एक बुढ़िया आसन बिछाए भगवद् गीता पढ़ रही थी… उसने कहा ! मांजी अगर आज्ञा हो तो आपका फोन का उपयोग कर लूं…

बुढ़िया मुस्कुराई और बोली… बेटा कौन सा फोन?? यहां ना बिजली है ना फोन..
लेकिन तुम बैठो… सामने चरणामृत है, पी लो… थकान दूर हो जायेगी… और खाने के लिए भी कुछ ना कुछ फल मिल जायेगा…खा लो ! ताकि आगे यात्रा के लिए कुछ शक्ति आ जाये…

डाक्टर ने धन्यवाद किया और चरणामृत पीने लगा... बुढ़िया अपने पाठ मे खोई थी कि उसके पास उसकी नज़र पड़ी… एक बच्चा कंबल मे लपेटा पड़ा था जिसे बुढ़िया थोड़ी थोड़ी देर मे हिला देती थी…
बुढ़िया की पूजा हुई तो उसने कहा… मां जी ! आपके स्वभाव और व्यवहार ने मुझ पर जादू कर दिया है… आप मेरे लिए भी प्रार्थना कर दीजिए… यह मौसम साफ हो जाये मुझे उम्मीद है आपकी प्रार्थनायें अवश्य स्वीकार होती होंगी…

बुढ़िया बोली... नही बेटा ऐसी कोई बात नही… तुम मेरे अतिथी हो और अतिथी की सेवा ईश्वर का आदेश है… मैने तुम्हारे लिए भी प्रार्थना की है… परमात्मा की कृपा है… उसने मेरी हर प्रार्थना सुनी है…
बस एक प्रार्थना और मै उससे माँग रही हूँ शायद जब वह चाहेगा उसे भी स्वीकार कर लेगा…

कौन सी प्रार्थना..??
डाक्टर बोला…

बुढ़िया बोली... ये जो 2 साल का बच्चा तुम्हारे सामने अधमरा पड़ा है, मेरा पोता है, ना इसकी मां ज़िंदा है ना ही बाप, इस बुढ़ापे में इसकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है, डाक्टर कहते हैं… इसे कोई खतरनाक रोग है जिसका वो उपचार नहीं कर सकते, कहते हैं की एक ही नामवर डाक्टर है, क्या नाम बताया था उसका !
हां “डॉ पटनायक ” … वह इसका ऑपरेशन कर सकता है, लेकिन मैं बुढ़िया कहां उस डॉ तक पहुंच सकती हूं? लेकर जाऊं भी तो पता नही वह देखने पर राज़ी भी हो या नही ? बस अब बंसीवाले से ये ही माँग रही थी कि वह मेरी मुश्किल आसान कर दे..!!

डाक्टर की आंखों से आंसुओं की धारा बह रहा है….वह भर्राई हुई आवाज़ मे बोला !
माई...आपकी प्रार्थना ने हवाई जहाज़ को नीचे उतार लिया, आसमान पर बिजलियां कौधवा दीं, मुझे रस्ता भुलवा दिया, ताकि मैं यहां तक खींचा चला आऊं, हे भगवान! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा… कि एक प्रार्थना स्वीकार करके अपने भक्तों के लिए इस तरह भी सहायता कर सकता है…..!!!!

दोस्तों, वह सर्वशक्तिमान है…. परमात्मा के भक्तो उससे लौ लगाकर तो देखो… जहां जाकर प्राणी असहाय हो जाता है, वहां से उसकी परम कृपा शुरू होती है...

जय श्री राम
जय श्री हनुमान

LUCKY PLANTS – घर में गुड लक लेकर आते है ये पौधे

LUCKY PLANTS – घर में गुड लक लेकर आते है ये पौधे

हवा को शुद्ध और साफ रखने के साथ ही धन – पैसा – गुड लक लेकर आते है ये पौधे – इन्हे जरूर लगाए

पेड पौधे खूबसूरती बढ़ने के साथ ही हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध भी बनाते है। अध्ययनों से पता चला है की पौधों को घर ,कार्यक्षेत्र या बैडरूम में रखने से आपका दिमाग और मूड सही रहता है। साथ ही तनाव कम होता है और घर में शांति रहती है। इतना ही नहीं ये पौधे प्रदूषण को कम करते है और ऑक्सीजन भी पैदा करते है। कुछ पौधों को वास्तु शास्त्र में बहुत शुभ माना गया है और अगर इनको घर के अंदर लगाया जाये तो घर से नकरात्मकता दूर होकर आपकी किस्मत चमक जाती है।
ऐसे ही कुछ पौधों के बारे में आपको बताते है –

एलोवेरा

आपको पता है की एलोवेरा आपके सौंदर्य को बढ़ने का काम करता है। आपको जानकार आश्चर्य होगा की ये उन पौधों पौधों में से है जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ते है और हवा को शुद्ध करके आपको शुद्ध वातावरण देता है।

लेवेंडर

लेवेंडर का तेल लम्बे और घने बालो के साथ ही ये आपके तनाव को भी काम करने में मदद करता है। इसको लगाने से आपकी किस्मत भी बदल सकती है

हल्दी का पौधा

हल्दी का पौधा भी बहुत शुभ होता है। यह गुरु ग्रह से सम्बन्ध रखता है और ज्योतिष शास्त्र में सबसे ज्यादा शुभ ग्रह गुरु ग्रह को माना गया है। घर में हल्दी का पौधा लगाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा यह पौधा औषधीय गुणों के लिहाज़ से भी लाभकारी है।

तुलसी का पौधा

तुलसी का पौधा घर में सकरात्मकता और सुख – समृद्धि लता है। तुलसी का पौधा पूजनीय होने के साथ औषधीय गुणों से भरपूर है।

लाजवंती

वास्तु के मुताबिक लाजवंती का पौधा आपके भाग्य को बदल सकता है। इससे आपकी कुंडली में राहु का दोष दूर होगा।
आशा करती हूँ आपको ऊपर दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी। आगे भी आपको इसी तरह की जानकारिया मिलती रहेंगी।

धन सम्बन्धी परेशानियों से छुटकारा पाने के उपाए

इन उपायों से धन -हानि की समस्या से मिलेगा छुटकारा,बरसेगी गणपति बप्पा की अपार कृपा

भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव है। किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान् श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है।बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि – विधान से भगवान् गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है।
भगवान् श्री गणेश की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। उनकी कृपा से आर्थिक समस्याओ से भी छुटकारा मिल जाता है। आईये जानते है भगवान् गणेश को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए

 

भगवान् गणेश को दूर्वा अर्पित करे
भगवान् गणेश को दूर्वा घास बहुत प्रिय है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूर्वा घास जरूर अर्पित करना चाहिए। जो भक्त भगवान् को दूर्वा अर्पित करते है उनकी सभी मनोकामनाएं गणेश जी पूरी करते है। आप रोजाना भी भगवान् श्री गणेश को दूर्वा अर्पित कर सकते है। अगर आपके कार्यो में बार – बार विघ्न आ रहा है तो भगवान् गणेश जी को दूर्वा जरूर अर्पित करे।
भगवान् गणेश को सिंदूर लगाए
भगवन गणेश को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सिंदूर भी लगाना चाहिए। सिंदूर लगाने से गणपति बप्पा प्रसन्न होते है। आप रोजाना भी भगवान् गणेश जी को सिंदू
र लगा सकते है।
भगवान् गणेश को भोग लगाए
भगवान् गणेश को लड्डू और मोदक काफी प्रिय है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान् गणेश को लड्डू और मोदक का भोग जरूर लगाए। भगवान् को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप मे उनका सेवन जरूर करे।